बिजली महापंचायत में लिए गए निर्णय के अनुसार जेल भरो आंदोलन को लेकर व्यापक जनसंपर्क
पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन पर दमन का आरोप लगाते हुए प्रशासनिक आधार पर किए गए समस्त स्थानांतरण निरस्त करने की मांग
ट्रान्सफर पोस्टिंग में लेन देन के आरोप की सी बी आई जांच की मांग
पूर्वा टाइम्स समाचार

गोरखपुर। लखनऊ में हुई बिजली महापंचायत में निजीकरण के विरोध में व्यापक जन आन्दोलन चलाने और जेल भरो आंदोलन के निर्णय के दृष्टिगत आज विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाया और सभाएं कर बिजली कर्मियों को बिजली महापंचायत के फैसले की जानकारी दी ।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों इं. पुष्पेन्द्र सिंह, इं. जीवेश नन्दन , इं. जितेन्द्र कुमार गुप्त, सर्वश्री प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, इस्माइल खान, संदीप श्रीवास्तव, विकास श्रीवास्तव, जगन्नाथ यादव, राकेश चौरसिया, राजकुमार सागर, विजय बहादुर सिंह, करुणेश त्रिपाठी, ओम गुप्ता, एवं सत्यव्रत पांडे, आदि तथा जे ई संगठन के पदाधिकारियों इं. शिवम चौधरी, इं. अमित यादव, इं. विजय सिंह, इं. भारतेन्दु चौबे एवं इं. रणंजय पटेल ने बताया कि निजीकरण के विरोध में चलने वाले सामूहिक जेल भरो आंदोलन में प्रत्येक जनपद में सरकारी कर्मचारियों, शिक्षकों, किसानों और उपभोक्ताओं को जोड़ने की दृष्टि से व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के अंतर्गत बिजली के निजीकरण से होने वाले नुकसान से सभी वर्गों को विस्तार से अवगत कराया जाएगा। बिजली महापंचायत में लिए गए निर्णय के अनुसार विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से मांग की है कि पॉवर कॉर्पोरेशन में बड़े पैमाने पर मनमाने ढंग से किए गए स्थानांतरण आदेशों में पैसे के लेनदेन की बात सामने आने के बाद संपूर्ण प्रकरण की सीबीआई जांच कराई जाए। उत्पीड़न की दृष्टि से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक ने छोटे पद पर कार्य करने वाली महिला कर्मियों को भी दूर-दूर स्थानांतरित किया गया है।संघर्ष समिति ने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर स्थानांतरण आदेश जारी कर पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष ने प्रदेश की बिजली व्यवस्था को इस भीषण गर्मी में पटरी से उतारने का काम किया है। इतने अधिक स्थानांतरण आदेशों से बिजली व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने मांग की है की बिना किसी नीति के मनमाने ढंग से केवल प्रशासनिक आधार पर केवल उत्पीड़न की दृष्टि से किए गए समस्त स्थानांतरण आदेश तत्काल निरस्त किए जाए। संघर्ष समिति ने बताया कि ट्रांसफर पोस्टिंग में गड़बड़ी को लेकर 1998 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप किया था। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया था की कोई भी ट्रांसफर माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित हाई पावर कमेटी की अनुमति के बिना नहीं किया जाएगा। इस सत्र में किए गए ट्रांसफर आदेश माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का खुला उल्लंघन हैं।