गोरखपुर विश्वविद्यालय मे एससी/एसटी और ओबीसी छात्र/छात्राओं के साथ हो रहा जातिय भेदभाव

श्रवण कुमार निराला ने राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर किया जांच की मांग

पूर्वा टाइम्स- डॉ अनिल गौतम

गोरखपुर। डीडीयु गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर में पीएचडी नामांकित/रजिस्ट्रेशन होने वाले एससी/एसटी और ओबीसी के छात्र/छात्राओं के साथ घोर जातिवादी भेदभाव किया गया है। जिसमें प्रमुख रूप से पीएचडी प्रवेश परीक्षा में क्वालिफाई एससी/एसटी और ओबीसी जाति के छात्र/छात्राओं को विश्वविद्यालय कुलपति के इशारे पर डिग्री कालेज के शिक्षकों को शोध निदेशक बनाया गया है। कुलपति के इशारे पर अपर कास्ट के छात्र/छात्राओं को विश्वविद्यालय के शिक्षक शोध-निदेशक बनायें गये है।शोध पात्रता परिक्षा में कोई मानक आधार का पालन नहीं किया गया है शोध पात्रता परिक्षा में अधिक नम्बर पाने वाले एससी/एसटी और ओबीसी के छात्र/छात्राओं को डिग्री कालेज के शिक्षकों को शोध निदेशक बनाया गया जबकि अपर कास्ट के कम नम्बर पाले वाले छात्र/छात्राओं के लिये विश्वविद्यालय के शिक्षकों को शोध निदेशक बनाया गया है। कुलपति के सहमति पर भ्रष्टाचार के अन्धेरगर्दी के तहत मनमाने ढंग से एससी/एसटी और ओबीसी के छात्र/छात्राओं को ग्रामीण क्षेत्र के डिग्री कालेज के शिक्षकों के अण्डर में भेजकर विश्वविद्यालय प्रशासन एससी/एसटी और ओबीसी छात्र/छात्राओं के साथ भेदभाव किया गया है और मनोबल भी गिराने का साजिश किया गया है। अपर कास्ट के शोधार्थियों के कम नम्बर पाने पर भी विश्वविद्यालय के शिक्षक शोध निदेशक बनाये गये है यह अपर कास्ट के छात्र/छात्राओं को विशेष सुविधा एवं महत्व किया गया है इसके विश्वविद्यालय की जातिवादी कुलपति एवं कुछ जातिवादी शिक्षकों की कुट रचना जातिवादी दुर्भावना पूर्वक रंची गई एक घिनौना साजिश है।
बिना आधार के एससी/एसटी और ओबीसी के छात्र/छात्राओं के साथ इस भेदभाव से संविधान के अनुच्छेद 14 समता का अधिकार और अनुच्छेद-15 धर्म जाति इत्यादि के नाम पर विभेदी करण के प्रतिशोध का उल्लंघन है। भारतीय संविधान सभी के लिये समान रूप से अधिकरों का संरक्षण करता है, फिर सवर्ण और अवर्ण के विच विश्वविद्यालय जैसी उच्च शिक्षण संस्थान में संविधान के मूल भावना का खुला उल्लंघन करके कुलपति एवं उनके सहयोगियों के द्वारा घोर अनियमितता क्यों किया जा रहा है। अतः उक्त प्रकरण को गम्भीरता पूर्वक जांच कराकर मेरिट के आधार पर एससी/एसटी और ओबीसी के छात्र/छात्राओं के लिये भी विश्वविद्यालय के शिक्षकों को शोध निदेशक नियुक्त किया जाये और अनियमितता कराने की साजिशकर्ता कुलपति के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही किया जाये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *