“गोरखपुर में चिकित्सा चमत्कार: शाही ग्लोबल हॉस्पिटल में 10 महीने की बच्ची को मिला नया जीवन — डॉ. शिव शंकर शाही की दुर्लभ शल्य क्रिया को यूपी एएसआई ने राष्ट्रीय स्तर पर किया प्रकाशित”
● गोरखपुर में रचा गया चिकित्सा इतिहास, डॉक्टर शाही की निपुणता और मानवीय सेवा का अद्वितीय उदाहरण
● भारत की सबसे प्रतिष्ठित सर्जन संस्था ‘उत्तर प्रदेश एसोसिएशन ऑफ सर्जन ऑफ इंडिया’ की वार्षिक पत्रिका में प्रकाशित हुआ मामला
● बिना एक भी चीरे या टांके के मलद्वार के रास्ते हुआ जीवनरक्षक ऑपरेशन, मेडिकल साइंस के लिए एक आश्चर्य
गोरखपुर बना चिकित्सा क्रांति का केंद्र, जहां सेवा बन रही है साधना
पूर्वा टाइम समाचार
गोरखपुर। पूर्वांचल के चिकित्सा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज हुई है। गोरखपुर शहर अब चिकित्सा क्रांति का पर्याय बनता जा रहा है। जहाँ एक ओर बीआरडी मेडिकल कॉलेज को नए पंख मिल चुके हैं, एम्स जैसी विश्वस्तरीय संस्थाएं आकार ले चुकी हैं, वहीं प्राइवेट सेक्टर में भी चिकित्सक दिन-प्रतिदिन नई ऊँचाइयों को छू रहे हैं।
इस परिवर्तनशील धरातल पर एक नाम उभर कर सामने आया है — डॉ. शिव शंकर शाही, शाही ग्लोबल हॉस्पिटल, तारामंडल गोरखपुर के निदेशक एवं चीफ सर्जन। उनकी विशेषज्ञता और समर्पण ने न केवल एक नन्हीं जान को जीवनदान दिया, बल्कि चिकित्सा के क्षेत्र में गोरखपुर को राष्ट्रीय गौरव भी दिलाया।
10 महीने की बच्ची को नई ज़िंदगी — जब उम्मीदें दम तोड़ रही थीं, तब डॉक्टर बने मसीहा
मामला था नई बाज़ार, देवरिया की 10 माह की मासूम बच्ची कोमल का, जो 23 फरवरी 2025 की रात एक अज्ञात रोग के चलते गंभीर अवस्था में शाही ग्लोबल हॉस्पिटल पहुंचाई गई। परिजनों की आँखों में घबराहट और डॉक्टरों के सामने एक असाधारण चुनौती थी। बच्ची की आंत मलद्वार से बाहर निकल आई थी, जिससे स्थिति अत्यंत भयावह हो चुकी थी।
पहली नज़र में यह रेक्टल प्रोलैप्स प्रतीत हुआ, लेकिन जब विशेषज्ञों ने गहराई से परीक्षण किया तो चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। यह Intussusception नामक एक अत्यंत जटिल एवं दुर्लभ रोग था।
इस बीमारी में आंत का एक हिस्सा अपने ही अंदर प्रवेश कर जाता है जिससे पेट फूल जाता है, मल रुक जाता है, उल्टी होती है और यदि समय पर ऑपरेशन न किया जाए तो मृत्यु तक हो सकती है।
रातों रात हुआ चमत्कारी ऑपरेशन — बिना चीरे-टांके, सर्जरी का चमत्कार
डॉ. शिव शंकर शाही ने समय का इंतज़ार नहीं किया। उन्होंने तत्काल ऑपरेशन का निर्णय लिया। और जो हुआ, वह चिकित्सा विज्ञान में आश्चर्य के रूप में देखा जा रहा है।
बिना किसी बाहरी चीरे, टांके या कटाव के, मलद्वार के रास्ते संपूर्ण सर्जरी संपन्न की गई। बच्ची की खराब हो चुकी आंत को काटकर शेष को जोड़ा गया।
और सबसे विशेष बात — पूरी प्रक्रिया इतनी सटीक थी कि बच्ची को बाहर से एक भी सर्जिकल निशान नहीं लगा।
यह भारत के चिकित्सा इतिहास में दुर्लभतम उदाहरणों में से एक है, और ऐसे मामलों की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है।
यूपीएएसआई (UPASI) ने इस केस को माना ‘असाधारण’, वार्षिक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया
जब यह केस डॉक्टर शाही ने उत्तर प्रदेश एसोसिएशन ऑफ सर्जन ऑफ इंडिया में प्रस्तुत किया, तो वरिष्ठ सर्जनों और विशेषज्ञों ने इसे अत्यंत जटिल, जोखिमभरा एवं तकनीकी दृष्टि से उत्कृष्ट बताया। यूपीएएसआई की वार्षिक पत्रिका में इस केस का प्रकाशन होना इस बात का प्रमाण है कि यह सर्जरी चिकित्सा समुदाय के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन चुकी है।
डॉ. शिव शंकर शाही: सेवा और शल्यकला के संतुलन का प्रतीक
डॉ. शिव शंकर शाही एक ऐसा नाम है जो गोरखपुर में न केवल सर्जरी की उत्कृष्टता का पर्याय है, बल्कि मानवीय सेवा की मिसाल भी।
एमबीबीएस, एमएस, बीएमएस (लैप्रो) जैसे उच्च डिग्रियों से सुसज्जित
शाही ग्लोबल हॉस्पिटल, तारामंडल गोरखपुर के संस्थापक
- पूर्वांचल में सैकड़ों जटिल सर्जरी कर चुके, जिनमें से कई को राष्ट्रीय मंचों पर सराहना मिली है।
वे चिकित्सा को केवल पेशा नहीं, बल्कि “मानवता की सेवा” मानते हैं।
डॉ. शाही ने कहा… “ मुझे बच्ची की आंखों में जीवन की पुकार दिख रही थी। यह सिर्फ एक सर्जरी नहीं थी, यह एक भरोसे का प्रश्न था। जब हमने बिना चीरे और टांके के इस दुर्लभ सर्जरी को सफलता पूर्वक किया, तो ईश्वर की कृपा और मेरी टीम की मेहनत ने चमत्कार कर दिखाया।”
यह क्यों है राष्ट्रीय स्तर की घटना?
10 महीने की बच्ची पर दुर्लभ सर्जरी,बिना टांके-चीरे, मलद्वार से किया गया सफल ऑपरेशन, देश की सबसे प्रतिष्ठित सर्जन संस्था की पत्रिका में प्रकाशित, गोरखपुर जैसे शहर में विश्वस्तरीय तकनीक का प्रयोग, चिकित्सा क्षेत्र के लिए एक मार्गदर्शक केस स्टडी
शाही ग्लोबल हॉस्पिटल: पूर्वांचल की उम्मीद की नयी पहचान
शाही ग्लोबल हॉस्पिटल अब मात्र एक चिकित्सा संस्थान नहीं, बल्कि पूर्वांचल के लोगों के लिए आशा का केंद्र बन चुका है। यहाँ की सुविधाएं, डॉक्टरों का व्यवहार और तकनीकी विशेषज्ञता इसे अंतरराष्ट्रीय मानकों की कतार में खड़ा करती हैं।
गोरखपुर का भविष्य उज्जवल है… और चिकित्सा में यह साबित हो चुका है
यह खबर केवल एक केस रिपोर्ट नहीं है। यह गोरखपुर की बदलती पहचान है — जहाँ सर्जरी केवल चाकू और कैंची का खेल नहीं, बल्कि करुणा और कर्तव्य का समागम है। जहां डॉक्टर केवल शरीर नहीं, जीवन को बचाते हैं।