व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के निदेशकों, समन्वयकों एवं शिक्षकों के साथ कुलपति ने की चर्चा

शिक्षा में गुणवत्ता और अधोसंरचना विकास को लेकर कुलपति का व्यापक संवाद

छात्र-केंद्रित एवं उद्योग- समर्थ शिक्षा: कुलपति ने दी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को नई दिशा

पूर्वा टाइम्स समाचार

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में आगामी शैक्षणिक सत्र की समुचित तैयारी, अकादमिक उत्कृष्टता एवं अधोसंरचनात्मक सुदृढ़ीकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण पहल करते हुए कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने विश्वविद्यालय के व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से जुड़े निदेशकों, समन्वयकों एवं शिक्षकों के साथ श्रृंखलाबद्ध संवाद सत्र आयोजित किए। इन संवाद सत्रों में कृषि एवं प्राकृतिक विज्ञान संस्थान, इंजीनियरिंग संस्थान, फार्मेसी संस्थान, व्यवसाय प्रबंधन विभाग, विधि विभाग (BALLB) एवं वाणिज्य विभाग (Banking एवं Insurance) के प्रतिनिधियों ने सक्रिय सहभागिता निभाई और विभागों के विकास हेतु रचनात्मक सुझाव साझा किए।
प्रमुख चर्चा बिंदु:

  1. प्रवेश प्रक्रिया का सुदृढ़ीकरण:
    छात्र-केंद्रित, पारदर्शी एवं सुलभ प्रवेश प्रक्रियाओं का निर्धारण, डिजिटल प्लेटफॉर्म के समुचित उपयोग, प्रचार-प्रसार में वृद्धि एवं छात्र सहायता तंत्र को मजबूत करने के उपायों पर सहमति बनी।
  2. पाठ्यक्रमों का अद्यतन एवं उद्योग अनुरूपता:
    समस्त विभागों में पाठ्यक्रमों को नवीनतम औद्योगिक आवश्यकताओं एवं वैश्विक मानकों के अनुरूप अद्यतन करने, व्यावहारिक प्रशिक्षण, परियोजनाओं, इंटर्नशिप, केस स्टडी एवं उद्योग सहभागिता को बढ़ाने की योजना साझा की गई।
  3. प्रयोगशालाओं का सुदृढ़ीकरण:
    इंजीनियरिंग एवं फार्मेसी संस्थानों में नवीनतम उपकरणों से सुसज्जित प्रयोगशालाओं की स्थापना का प्रस्ताव किया गया, ताकि छात्रों को अत्याधुनिक व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त हो सके।
  4. लेटरल एंट्री की व्यवस्था:
    डिप्लोमाधारक एवं व्यावसायिक छात्रों को उच्च वर्षों में सीधी प्रवेश की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु पार्श्व प्रवेश नीति को लागू करने का प्रस्ताव किया गया, जिससे शैक्षणिक लचीलापन सुदृढ़ होगा।
  5. कृषि स्नातक पाठ्यक्रम हेतु ICAR मान्यता:
    कृषि एवं प्राकृतिक विज्ञान संस्थान द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) से मान्यता प्राप्त करने की दिशा में कार्ययोजना बनाई गई, ताकि छात्रों को राष्ट्रीय स्तर के अवसर प्राप्त हों एवं पाठ्यक्रम में गुणवत्ता वृद्धि सुनिश्चित हो सके।
  6. भवन निर्माण एवं अधोसंरचनात्मक विकास:
    विधि एवं इंजीनियरिंग विभागों के लिए नवीन भवनों का निर्माण, विधि पुस्तकालय का नवीनीकरण एवं डिजिटल संसाधनों का समावेश, समस्त परिसरों में आवश्यक मरम्मत एवं अनुरक्षण कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी।
  7. संकाय का सक्रिय सहभागिता एवं नवाचार-उन्मुख शिक्षा:
    कुलपति ने सभी शिक्षकों से शोध, पाठ्यक्रम विकास, नवाचारी शिक्षण और छात्र मार्गदर्शन में सक्रिय भागीदारी का अनुरोध किया, जिससे विश्वविद्यालय एक उच्च- गुणवत्तापूर्ण, नवाचार-समर्थ एवं उद्योग-संरेखित शैक्षणिक केंद्र बन सके।
    कुलपति प्रो. पूनम टंडन का वक्तव्य:“इन संवाद सत्रों के माध्यम से हमें संस्थागत विकास, पाठ्यक्रम उन्नयन एवं अधोसंरचनात्मक सुदृढ़ीकरण हेतु महत्त्वपूर्ण दिशा-निर्देश प्राप्त हुए हैं। हमारा प्रयास है कि विश्वविद्यालय एक ऐसा शैक्षणिक वातावरण निर्मित करे जो छात्र-केंद्रित, भविष्योन्मुख एवं उद्योग-समर्थ हो। सभी प्राप्त सुझावों को प्राथमिकता के साथ क्रियान्वित किया जाएगा एवं आवश्यक प्रशासनिक समर्थन सुनिश्चित किया जाएगा।”
    आगामी कार्ययोजना:
    समस्त विभागों को विस्तृत प्रस्ताव एवं क्रियान्वयन समयसीमा के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन प्रत्येक पहल की नियमित निगरानी करेगा एवं यह सुनिश्चित करेगा कि सभी योजनाएँ निर्धारित अवधि में पूर्ण हों।

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