विप्लव का यह शंखनाद, या खुशियों की शहनाई है

भागीरथी सांस्कृतिक मंच की 792वीं काव्यगोष्ठी में हुआ रचनापाठ

पूर्वा टाईम्स – डॉ अनिल गौतम

गोरखपुर। भागीरथी सांस्कृतिक मंच गोरखपुर की 792वीं काव्य गोष्ठी भोजपुरी के श्लाका पुरुष राम जियावन दास “बावला” की 103 वीं जयंती के उपलक्ष्य में डा. अमिताभ शर्मा के आवास गोरखनाथ स्थित 10 नंबर बोरिंग सहारा लेन पर संपन्न हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ भोजपुरी कवि आचार्य ओम प्रकाश पाण्डेय ने किया प्रमुख अतिथि के रूप में अरविंद शर्मा, पूर्व सहायक आयुक्त स्टांप बलिया रहे। मां सरस्वती की वंदना अजय कुमार यादव ने प्रस्तुत किया। तत्पश्चात कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन कवि बावला के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अतिथियों एवं कवियों द्वारा किया गया।युवा कवि अजय कुमार ने गांव और शहर की विषमताओं पर यह पंक्ति प्रस्तुत की -छलकते पीर आंखों से पड़े हैं छाले पांवों में,शहर अब बोझ लगते हैं सकूं पायेंगे गांवों में। आज के तत्कालीन हालात पर तंज करते हुए वरिष्ठ शायर सुम्बुल हाशमी ने कहा –
जो तेरे हम ख्याल होते हैं।
बस वही लाजवाब होते हैं।
वरिष्ठ कवि एवं जलेस के अध्यक्ष जयप्रकाश मल्ल ने कविताओं में जीवन तलाशते हुए ये पंक्तियां उकेरी – इन कविताओं में जीवन है,
या जीवन की कविताई है।
विप्लव का यह शंखनाद,
या खुशियों की शहनाई है।
अध्यक्षता कर रहे हैं वरिष्ठ भोजपुरी कवि आचार्य ओम प्रकाश पाण्डेय ने कवि बावला को सादर नमन करने के बाद उनके जीवन और गीतों की चर्चा करने के उपरांत श्री कृष्ण द्वारा महाभारत में दिए गए गीता के उपदेश की बात इन शब्दों में की जोगिय कृष्ण दिए उपदेश ,
धनंजय के उहे नाम हs गीता।
मुख्य अतिथि अरविंद शर्मा ने कवि बावला को सादर नमन करते हुए उनकी स्मृतियों को याद किया और कवियों के लिए कहा कवि समाज की विसंगतियों को उजागर करता है,यही उसकी सबसे बड़ी विशेषता होती है।इस अवसर पर युवा कवि अजय कुमार को “भागीरथी साहित्य प्राग्ल्भय पुरस्कार” के अंतर्गत एक पुस्तक देखकर उन्हें सम्मानित किया गया।अन्य कवियों ने काव्य पाठ किया उनके नाम है- श्रीमती डा. सरिता सिंह एवं सर्वश्री रामसमुझ “सांवरा”, अवधेश शर्मा नंद ,अरविंद अकेला, दयानंद त्रिपाठी “व्याकुल”, दानिका प्रसाद विश्वकर्मा, आनंदवर्धन त्रिपाठी”शनिल”, डा .सत्यनारायण “पथिक”,कौसर गोरखपुरी, अरुण ब्रह्मचारी, प्रशांत श्रीवास्तव एवं महमूद भाई आदि। इस अवसर पर डा .अमिताभ शर्मा एवं उनके परिवारी जन श्रोताओं के रूप में उपस्थित रहे।

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